तेरे बिना ये दिल है उदास,
हर खुशी में छुपा है एक ख़ास।
तू पास नहीं, फिर भी लगता है,
जैसे मेरी धड़कन में है तेरा एहसास।
तन्हाई में खुद से बातें करता हूँ,
हर लम्हा तेरी यादों में डूबा रहता हूँ।
इस दिल के दर्द को किससे कहूँ,
बस ख़ामोशी से अपना ग़म सहता हूँ।
वो एक मुस्कान, जो अब नहीं रही,
जिन आँखों में बसी थी, वो रंगीन ख्वाब नहीं रही।
हर मोड़ पर तेरी याद आती है,
पर तेरा एहसास अब भी अधूरा है।
खुशियों के पल पल में तेरी कमी है,
तेरे बिना हर दिन एक नई ग़म की ग़ज़ल है।
तू तो चली गई, पर यादें रह गई,
अब ये दिल भी तन्हा, और आँखें नम हैं।
दिल के कोने में जो दर्द छुपा है,
तेरे बिना ये सफर अधूरा सा लगा है।
चाँद की रोशनी में तेरा चेहरा खो जाता,
पर तू दूर है, ये सच अब बुरा सा लगा है।
बिछड़ने का ग़म है, और ये दिल तन्हा है,
तेरे बिना ये जहां अब सुना सा है।
हर खुशी में तेरी कमी महसूस होती है,
जैसे एक लहर बिना समंदर के ख़ामोश होती है।
तेरी यादों का साया अब भी मेरे साथ है,
हर लम्हा तेरे जाने का मुझे एहसास है।
खुश रहूँ मैं या ग़म में डूबा रहूँ,
तू तो चली गई, पर ये दिल बस तन्हा है।
जिन रास्तों पर चलकर तू गई,
वो राहें आज भी मेरी राह देखती हैं।
हर ख़्वाब में तेरा चेहरा है,
फिर भी ये आँखें अब आंसू बहाती हैं।
कभी मुस्कुराते थे, अब बस रोते हैं,
तेरे बिना ये ज़िंदगी अधूरी सी लगती है।
हर सुबह तेरी याद के संग आती है,
और हर रात तेरे ख्वाब में खो जाती है।
खुद को भुलाकर तुझे पाया था मैंने,
अब खुद को ही खोया हुआ पाता हूँ मैं।
तेरे बिना ये दिल है वीरान सा,
जैसे एक बंजर ज़मीन पर बरसात की तलाश में।
उम्मीद है कि ये शायरी आपके दिल की भावनाओं को छू पाए।