चाँद की चाँदनी में तेरा अक्स बसा है,
तेरी हंसी की गूंज अब भी मेरे दिल में है।
फिर भी ये तन्हाई का साया मुझे सता रहा है,
तेरे बिना ये दिल क्यों यूं तड़प रहा है।
चाँद की चाँदनी में तेरा अक्स बसा है,
तेरी हंसी की गूंज अब भी मेरे दिल में है।
फिर भी ये तन्हाई का साया मुझे सता रहा है,
तेरे बिना ये दिल क्यों यूं तड़प रहा है।